गैसों की परतें, जो पृथ्वी के चारों ओर से घेरती है, उसे वायुमंडल कहा जाता है। इन गैसों में आंक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य गैसें पायी जाती हैं । वायु की एक पतली परत पृथ्वी का महत्व पूर्ण एवं अटूट भाग है। यह हमें ऐसी वायु प्रदान करती है जिससे लोग सांस लेते हैं, साथ ही सूर्य की कुछ हानिकारक किरणों से रक्षा करती है। वायुमंडल 10,000 किमी. की ऊंचाई तक फैला है। परन्तु वायुमंडल का 99 प्रतिशत भार सिर्फ 32 किमी. तक सीमित है। वायुमंडल को तापमान तथा अन्य घटकों के आधार पर पांच परतों में बांटा जाता है।
इन सतहों को क्षोभमंडल, समताप मंडल, मध्यमंडल, आयनमंडल, और बहिर्मण्डल कहा जाता है।
वायुमंडल का संघटक
1. गैस
स्थिर गैसे
नाइट्रोजन 78.03% (खोजकर्ता- रदरफोर्ड, मेफिटिक एअर)
आक्सीजन 20.99% (खोजकर्ता - जोसेफ प्रीस्टले)
आर्गन 0.93% (खोजकर्ता - विलियम रामसे)
परिवर्तनशील गैसें
जलवाष्प
कार्बन डाइऑक्साइड
नियान
हीलियम
हाइड्रोजन
रेड्रान
मेथेन
2. एयरोसाल(Aerosole)/ विलंबित सूक्ष्मकण
3. जलवाष्प
वायुमंडल की संरचना
1. क्षोभमंडल (Troposphere)
यह पृथ्वी की सबसे निचली परत जिसमें मौसम परिवर्तन जैसे बिजली, तड़ित, आंधी, बरसात आदि क्षोभमंडल में ही होती है |धुर्वों पर क्षोभमंडल की उँचाई धरातल से 8 Km तक होती है | क्षोभमंडल मंडल को संवहन मंडल भी कहते हैं |
- यह वायुमंडल की सबसे नीचे वाली परत है।
- इसकी ऊंचाई ध्रुवों पर 8 किमी. तथा विषुवत रेखा पर लगभग 18 किमी. होती है।
- क्षोभमंडल में गिरावट की दर प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर 1 डिग्री सेल्सियस अथवा 1 किमी. की ऊंचाई पर 6.4 डिग्री सेल्सियस होती है।
- इसे ही सामान्य ताप पतन दर कहा जाता है।
- इस मंडल को संवहन मण्डल कहते हैं।
- इसे अधोमंडल भी कहते हैं।
- सभी मुख्य वायुमंडलीय घटनाएं जैसे बादल, आंधी, एवं वर्षा इसी मंडल में होती हैं।
यह पृथ्वी की सतह से 20 किमी. की ऊंचाई तक विस्तृत है। इसमें मौसम सम्बनधी घटनाएं नहीं होती हैं। तथा इसमें वायु यान उड़ने की आदर्श दशा पायी जाती है। इसमें ओजोन परत पायी जाती है । जो सूर्य
के प्रकाश से आने वाली परा बैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेता है। जिससे जीव जंतुओं की रक्षा होती है।
- समताप मंडल 18-20 किलोमीटर की ऊंचाई तक है इसमें ताप समान रहता है।
- इस मंडल में वायुयान उडनाने की आदर्श दशा पायी जाती है
- कभी कभी इसमें इसमें विशेष प्रकार के मेघों का निर्माण होता है । जिन्हें मूलाभ मेघ कहते हैं।
- इसमें ओजोन गैस की परत पायी जाती है।
- यह परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती हैं एवं हमारी रक्षा करती हैं।
केवल
- यह समताप मंडल के ठीक ऊपर 60 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली होती है।
- अंतरिक्ष में प्रवेश करने वाले उल्का पिंड इस परत में आने पर जल जाते हैं।
- इसकी ऊंचाई 60 से 640 किलोमीटर तक होती है।
- संचार उपग्रह इसी मंडल में अवस्थित होते हैं।
- वास्तव में पृथ्वी से प्रसारित रेडियो तरंगें इस परत द्वारा पुनः पृथ्वी पर परावर्तित कर दी जाती है, जिसके फलस्वरूप रेडियो, टेलीविजन, टेलिफोन, रडार एवं संचार उपग्रह आदि की सुविधा प्राप्त होती है।
- यह वायुमंडल की सबसे ऊपरी परत ( 640 किमी. से ऊपर) को वाह्यमंडल नाम से जाना जाता है।
- यह वायु की सबसे पतली परत होती है।
- हल्की गैसे जैसे- हीलियम एवं हाइड्रोजन यहीं से अंतरिक्ष में तैरती रहती हैं।
- वायुमंडल मुख्यत आक्सीजन एवं नाइट्रोजन का बना है जो कि साफ तथा शुष्क हवा का 99 % भाग है। नाइट्रोजन 78%, आक्सीजन 21%, तथा दूसरी गैसे कार्बन डाइऑक्साइड, आर्गन इत्यादि की मात्रा 1% है।
- आक्सीजन सांस लेने के लिए तथा नाइट्रोजन प्राणियों की वृद्धि के लिए आवश्यक है।
- साथ ही पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक है।
- वायुमंडल में जलवाष्प की मात्रा 0 से 4% तक पायी जाती है।
- वायुमंडल पृथ्वी पर दबाव डालता है।
- जैसे जैसे हम ऊपर की ओर जाते हैं , यह तेजी के साथ घटता जाता है
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