पोंगल, ओणम, याशांग, लोहार त्यौहार Ctet special
पोंगल
इस त्यौहार का सम्बन्ध तमिलनाडु राज्य से है। यह हिन्दू समाज का एक विशिष्ट त्यौहार है। यह त्यौहार वहां के किसान अपनी फसल काटने के बाद म बढी धूम धाम के साथ मनाते हैं।
इस दिन लोग भगवान सूर्य की पूजा करते हैं तथा भगवान विष्णु को चावल का भोग लगाते हैं।हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य की किरण फसल में रोशनी का संचार कर खेती को ऊर्जा प्रदान करती है। त्यौहार पर तमिल परिवार आम, केला की पत्तियों और रंग बिरंगी चावल से बनी आकृतियों से अपने घर के दरवाजे को संजोते हैं. इस दिन पकवान को पारंपरिक रूप से केला की पत्तियों में परोसा जाता है।यह त्यौहार जनवरी महीने में मकर संक्रांति के साथ मनाया जाता है।
पोंगल का अर्थ तमिल भाषा में पोंगा शब्द से है, इसका अर्थ उबालना होता है।
ओणम
इस त्यौहार का सम्बन्ध केरल राज्य से संबंधित है। ओणम का त्यौहार पूरे दस दिन बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। हरे-भरे खेतों का दृश्य इस पर्व के मनाने में विशेष योगदान देता है। इस उत्सव का आरंभ घर-आँगन में रंग-बिरंगे फूलों की रंगोली से किया जाता है। इसे केरल की मलयालम भाषा में ‘पक्कम’ कहते हैं।
ओणम का त्यौहार आमतौर पर अगस्त-सितंबर महीने में मनाया जाता है। यह समय मलयाली कैलेंडर के अनुसार वर्ष का पहला महीना होता है और 10 दिनों तक चलता है। यह 10 दिन केरल में सबसे जीवंत और मनोरंजक दिन होते हैं। इस दिन नौकयन का आयोजन किया जाता है तथा स्थानीय प्रतिभागी शामिल होते हैं और नौकायन प्रतियोगिता शुरू होती है ।जो प्रति भागी प्रतियोगिता में सफल होता है उसे विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
गणगौर त्यौहार
यह त्यौहार राजस्थान से सम्बन्धित है । गणगौर का त्यौहार चैत्र सुदी प्रथमा से शुरू होकर चैत्र शुक्ल तृतीया को समाप्त होता है। गणगौर की सवारी जयपुर और बीकानेर में धूम धाम से निकाली जाती है।
होलिका दहन के बाद गणगौर का त्यौहार आरम्भ होता है गणगौर णगौर शब्द का गौरव अंतहीन पवित्र दाम्पत्य जीवन की खुशहाली से जुड़ा है। कुंआरी कन्याएं अच्छा पति पाने के लिए और नवविवाहिताएं अखंड सौभाग्य की कामना के लिए यह त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाती हैं, व्रत करती हैं, सज-धज कर सोलह शृंगार के साथ गणगौर की पूजा की शुरुआत करती है। पति और पत्नी के रिश्तें को यह फौलादी सी मजबूती देने वाला त्यौहार है, वहीं कुंआरी कन्याओं के लिए आदर्श वर की इच्छा पूरी करने का मनोकामना पर्व है।
याशांग
इस त्यौहार का सम्बन्ध मणिपुर राज्य से है मणिपुर के त्योहार राज्य की समृद्ध संस्कृति और विरासत के लिए एक श्रद्धांजलि हैं। वास्तव में मणिपुर के त्योहार उनकी सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक आकांक्षाओं का प्रतीक हैं। इस राज्य के त्योहार हिंदू पौराणिक कथाओं और पुरानी सांस्कृतिक परंपराओं में गहराई से निहित हैं।
यह त्यौहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि या फरवरी या मार्च के महीनों से शुरू होकर पाँच दिनों तक मनाया जाता है। यह वास्तव में मणिपुर के प्रमुख त्योहारों में से एक है। पुरुष और महिला दोनों लोक विभिन्न सांस्कृतिक प्रदर्शनों में शामिल होते हैं, खासकर थबल चोंगबा नृत्य अपने जीवन के दुखों को भूल जाते हैं। युवा और बूढ़े दोनों प्रत्येक घर से दान एकत्र करते हैं और फिर उन सभी को सामुदायिक दलों और दावतों में खर्च करते हैं। यह त्यौहार वहां के लोगों के द्वारा बड़े हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता है।
लोसार
इस त्यौहार का सम्बन्ध अरुणाचल प्रदेश तथा सिक्किम राज्य व तिब्बत से है। यह उत्सव प्रत्येक वर्ष पारंपरिक और धार्मिक उत्साह के साथ क्षेत्रीय लोगों द्वारा मनाया जाता है।
यह उत्सव अरुणाचल प्रदेश राज्य की सांस्कृतिक विरासत की याद दिलाते हैं। वसंत ऋतु का उत्सव मुख्य रूप से विभिन्न समुदायों द्वारा जनवरी से अप्रैल तक की अवधि के दौरान होता है। उत्सव के उत्सवों में धार्मिक अनुष्ठानों और बलिदानों को आम तौर पर कुछ चुने हुए पुरुष सदस्यों द्वारा सहायता प्राप्त पुजारियों के द्वारा सम्पन कराया जाता है।
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