10 आनुवंशिक रोग एवं उनके लक्षण


 

10 आनुवंशिक रोग एवं उनके लक्षण

आनुवंशिक रोग क्या है 

जो रोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होते हैं, उन्हें आनुवंशिक रोग Genetic Disorder कहते हैं। यह रोग DNA में गड़बड़ी के कारण होते हैं। यह गड़बड़ी उत्परिवर्तन Mutation के कारण होती है। उत्परिवर्तन केवल एक जीन या पूरे क्रोमोसोम में होता है। एक क्रोमोसोम में 20 हजार से ज्यादा जीन्स होते हैं। जीन्स की संरचना में परिवर्तन आना आनुवंशिक रोगों का मुख्य कारण है।

जीन्स DNA का भाग होते हैं। DNA, RNA और प्रोटीन मिलकर क्रोमोसोम का निर्माण करतें हैं। जीन का रूप बदलने के कारण गुणसूत्रों में बदलाव आता है। हमारे शरीर में लाखों कोशिकाएं हैं, हर कोशिका में 23 जोड़ों के रूप में कुल 46 गुणसूत्र होते हैं। यही गुणसूत्र एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक गुण व दोष पहुंचाते हैं। अनुवांशिक रोग निम्नलिखित प्रकार के होते हैं।

1. वर्णान्धता 
2. डाउन सिन्ड्रोम
3. एडवर्ड्स सिन्ड्रोम
4. हीमोफीलिया
5. क्लाइनफेल्टर सिन्ड्रोम
6. मर्फन सिन्ड्रोम
7. पटाऊ सिन्ड्रोम
8. मार्फन सिन्ड्रोम
9. प्रोजेरिया 
10. थैलेमस

वर्णान्धता (Colour blindness)

वर्णान्धता आंखों से संबंधित एक रोग है। इसमें  रोगी को लाल व हरा रंग पहचानने की क्षमता नहीं होती है। इस रोग से मुख्य रूप से पुरुष प्राभावित होता है। स्त्रियों में यह तभी होता है जब इसके दोनों गुणसूत्र xx प्रभावित हों। इस रोग की वाहक स्त्रियां होती हैं। कलर ब्लाइंडनेस को कलर विजन डेफीसियन्सी भी कहते हैं।

डाउन सिन्ड्रोम (Down’s syndrome)

जब बच्चे की कोशिकाओं का विकास होता है तो प्रत्येक कोशिका 23 जोड़ी अर्थात 46 गुणसूत्र प्राप्त करती है। बच्चें के शरीर में आधे गुणसूत्र मां से तथा आधा गुणसूत्र पिता से प्राप्त होता है। लेकिन डाउन सिन्ड्रोम की स्थिति में एक गुणसूत्र ठीक से अलग नहीं हो पाता है और बच्चे के शरीर में दो के बजाय तीन या एक अतिरिक्त आंशिक गुणसूत्र 21 की प्रतियां पहुंच जाती है। इसके अतिरिक्त गुणसूत्र के कारण बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास नहीं हो पाता है। इसे मंगोलिज्म भी कहते हैं। जन्म के समय डाउन सिन्ड्रोम से पीड़ित बच्चों में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं-

  • चिपठे आकार का चेहरा
  • सिर और कान बहुत छोटा 
  • गर्दन बहुत छोटी 
  • फैली हुई जीभ
  • मांस पेशियां कमजोर

एडवर्ड्स सिन्ड्रोम (Edward syndrome)

डाउन सिन्ड्रोम एक आनुवंशिक विकार है। जो कि 18 वें गुणसूत्र की वजह से होता है। सामान्यतः इस बीमारी के मरीज भ्रूण अवस्था में ही मर जाते हैं। जो शिशु इस बीमारी के साथ जन्म लेते है, उन्हें असंख्य समस्याएं होती हैं। यही नहीं उसकी जिंदगी बहुत छोटी होती है, वह भी कष्टों भरी। उसमें लगभग 130 किस्म के डिफेक्ट हैं जिसमें मस्तिष्क, किडनी, ह्रदय आदि सब शामिल होते हैं।

हीमोफीलिया (Hemophilia)

हीमोफीलिया एक आनुवंशिक विकार है। जिसमें इससे प्रभावित व्यक्ति का रक्त अपनी थक्का blood clot जमाने की क्षमता खो देता है। इसे ब्लीडर रोग, शाही रोग तथा क्रिसमस रोग भी कहा जाता है। इस रोग में व्यक्ति के चोट लगने पर आधा घंटा से 24 घंटे (सामान्य समयांतराल औसतन 2-5 मिनट ) तक रक्त का थक्का नहीं बनता है। यह रोग मुख्यत: पुरुषों में होता है। स्त्रियों में यह रोग तभी होता है, जब इसके दोनों गुणसूत्र xx प्रभावित हो।
इस रोग का वाहक स्त्रियां होती हैं। यह रोग ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया से प्रारंभ हुआ।

क्लाइनफेल्टर सिन्ड्रोम (Klinefelter syndrome)

यह रोग मुख्यत पुरुषों में होता है। यह आनुवंशिक विकार है। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति अपने पिता और भाइयों से लम्बे होते हैं तथा इस रोग से ग्रस्त व्यक्तियों में गुणसूत्रों की संख्या 47 होती है। इसमें पुरुषों के वृषण अल्पविकसित तथा स्तन स्त्रियों के समान विकसित हो जाता है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति नपुंसक होता है। तथा इस प्रकार की बीमारी से पीड़ित रोगियों में मानसिक मंदता पायी जाती है।

टर्नर सिन्ड्रोम (Turner’s syndrome)

यह रोग स्त्रियों में होता है। इस रोग से ग्रसित स्त्रियों में गुणसूत्रो की संख्या 45 होती है। इसमें शरीर अल्पविकसित, कद छोटा तथा वक्ष चपटा होता है। जननांग प्राय अविकसित होता है, जिससे वे संतान उत्पन्न नहीं कर सकती।

पटाऊ सिन्ड्रोम (Patau syndrome)

इसमें रोगी व्यक्ति के ऊपर का ओंठ बीच से कट जाता है। तालु में दरार हो जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी मंद बुद्धि, नेत्ररोग आदि से प्रभावित हो सकता है।

मार्फन सिन्ड्रोम (Morfan syndrome)

मार्फन सिन्ड्रोम संयोजी ऊतक का एक प्रकार का आनुवंशिक विकार है। जो गुणसूत्र 15 पर उपस्थित FBN1 जीन में उत्परिवर्तन द्वारा होता है। चूंकि संयोजी ऊतक मनुष्य के पूरे शरीर में पाते जाते हैं। अतः यह रोगी की आंखें, संचार प्रणाली, त्वचा और  फेंफड़ों के साथ साथ हड्डियां और मांसपेशियों को प्रभावित करता है।

प्रोजेरिया (Projeria)

यह एक आनुवंशिक विकार है। इसे हिचसन-गिलफोर्ड प्रोजेरिया सिन्ड्रोम भी कहा जाता है। इस प्रकार के लोग में रोगी कम उम्र में ही बुढ़ापे के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। तथा रोगी की लगभग 15 साल में मृत्यु हो जाती है।

थैलेमेस (Thylemes)

थैलेमस की तरह के आनुवंशिक रक्त विकार का एक समूह है। जो कि जीन में कई प्रकार के म्यूटेशन द्वारा हो सकता है, जो शरीर की हीमोग्लोबिन उत्पादन करने की क्षमता प्रभावित कर सकते हैं। 

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