सूक्ष्मजीवों का सामान्य परिचय
हमारे आस पास अनेक प्रकार के पेड़ पौधे एवं जीव जंतु पाए जाते हैं। जिनसे हम परिचित हैं परंतु अनेक जीव ऐसे भी हैं, जिन्हें हम देख नहीं पाते हैं। यह जीव आकार में अत्यंत छोटे होते हैं, इन्हें सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जाता है। जैसे कि वर्षा ऋतु में नम ब्रेड या रोटी सड़ने लगती है। तब इसकी परत पर काले सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं। इन धब्बों को आवर्धक लेंस से देखने पर काले रंग की गोल सूक्ष्म संरचनाएं दिखाई देती हैं। चलो आज जानते हैं कि यह संरचनाएं क्या है और इनके क्या विशेषताएं होती हैं।
सूक्ष्मजीवों की उपस्थिती एवं विशेषताएं
सूक्ष्मजीवों के बारे में यह धारणा बनी है कि यह केवल बीमारियां फैलाते हैं परंतु यह बात पूरी तरह से सही नहीं है सूक्ष्म जीव हमारे लिए उपयोगी व हानिकारक दोनों हैं। सूक्ष्म जीव सर्वव्यापी होते हैं, अर्थात ये हवा, पानी, मिट्टी, पौधों एवं जंतुओं के शरीर के अंदर व बाहर सभी जगह पाए जाते हैं। ये अत्यंत विषम पर्यावरण एवं प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे बर्फ, गर्म पानी के झरने, समुद्र की तली आदि जगहों पर भी पाए जाते हैं। अनेक सूक्ष्म जीव सड़े गले पदार्थों में मृतोपजीवी के रूप में रहते हैं। कुछ सूक्ष्म जी जंतुओं और पौधों में परजीवी के रूप में भी पाए जाते हैं जैसे एंटअमीबा हिस्टॉलिटिका मनुष्य की आंत में परजीवी के रूप में पाया जाता है जो पेचिश नामक रोग उत्पन्न करता है इस प्रकार नींबू के पौधों में जैन्थोमोनास साइट्री नामक जीवाणु कैंकर नामक रोग उत्पन्न करता है।
सूक्ष्मजीवों का वर्गीकरण
सूक्ष्म जीवों को सामान्यता निम्नलिखित 5 समूहों में बांटा जाता है-
1. जीवाणु
2. विषाणु
3. प्रोटोजोआ
4. कवक
5. शैवाल
जीवणु (बैक्टीरिया) क्या है, जीवाणु की विशेषताएं
1. यह एक कोशिकीय जीव होते हैं।
2. जो हवा मिट्टी जल सभी स्थानों में पाए जाते हैं।
3. परंतु नमी युक्त स्थानों पर इनकी संख्या अधिक होती है।
4. यह गोलाकार दंडाआकार , सर्पाकृति आकार वाले होते हैं।
5. जीवाणु की कोशिका में केंद्रक नहीं होता है, इनकी कोशिका के चारों और कोशिका भित्ति होती है।
6. कुछ जीवाणुओं की कोशिका अपने चारों ओर एक कठोर आवरण बनाती है जिसे कैप्सूल कहते हैं।
7. कुछ जीवाणुओं में एक या अनेक धागे जैसी संरचनाएं पाई जाती हैं जिसे कसाभिका कहते हैं।
8. कसाभिका के द्वारा जीवाणु गति करता है। अनुकूल परिस्थितियों में जीवाणु में बहुत तेजी से प्रजनन क्रिया होती है।
साइनोबैक्टीरिया (नील हरित शैवाल)को पहले शैवाल के समूहों में रखा जाता था परंतु अब इन्हें जीवाणुओं के साथ में मोनेरा समूह में रखा जाता है। इनका रंग नीला हरा होता है। यह प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। दूसरे शब्दों में यह स्वपोषी होते हैं। इनकी कोशिका के चारों ओर श्लेष्मा का आवरण होता है अनेक सायनोबैक्टीरिया में हैटेरोसिस्ट नामक विशेष कोशिकाएं पाई जाती हैं सायनोबैक्टीरिया नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते हैं और हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं।
इस्पाइरूलीना नामक सायनोबक्टीरिया को भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है
विषाणु (वाइरस) क्या है, विषाणु की विशेषताएं
1. सभी सूक्ष्म जीवों में विषाणु से सूक्ष्म में होते हैं।
2. विषाणु न्यूक्लिक अम्ल तथा प्रोटीन के बने होते हैं।
3. यह पूर्ण परजीवी होते हैं और स्वतंत्र रूप से अपना विभाजन नहीं कर पाते।
4. प्रजनन के लिए इन्हें सदैव किसी जीवित कोशिका की आवश्यकता होती है।
5. विषाणुओं द्वारा पौधों, जंतुओं एवं मनुष्यों में अनेक प्रकार के घातक रोग उत्पन्न होते हैं-
जैसे - मनुष्य में चेचक, पोलियो , हेपिटाइटिस , डेंगू, चिकनगुनिया आदि।
विषाणु की खोज दमित्री एवोनोवस्की नामक रूसी वैज्ञानिक ने सन 1892 में किया था। विषाणु सजीव व निर्जीव के बीच की कड़ी होते हैं।
प्रोटोजोआ (Protozoya)क्या है, प्रोटजोआ की विशेषताएं
1. प्रोटोजोआ भी सूक्ष्म जीवो का एक समूह है।
2. इस संघ के जीव एकोशिकीय होते हैं।
3. यह जल मिट्टी तथा जीवों के शरीर में पाये जातें हैं।
4. प्रोटोजोआ संघ के जीव स्वतंत्र रूप में या अन्य जीवों के शरीर में परजीवी के रूप में पाए जाते हैं।
5. इनमें प्रचलन के लिए विशेष संरचनाएं होती हैं। जैसे- अमीबा में कूटपाद पैरामीशियम में सीलिया।
कई बार इस संघ के कुछ जंतु मनुष्य में रोग उत्पन्न करते हैं जैसे एंटेमीबा हिस्टॉलिटिका से पेचिस तथा प्लाज्मोडियम द्वारा मलेरिया नामक रोग होता है।
कवक (फंजाई) क्या है, कवक की विशेषताएं
1. कवक को फफूंद भी कहा जाता है।
2. इन्हें अक्सर हम अपने घरों में रोटी, ब्रेड, अचार तथा चमड़े की वस्तुओं पर उगते हुए देखते हैं।
3. बरसात के दिनों में कूड़े करकट पर उगने वाली छातेनुमा संरचना कुकुरमुत्ता भी एक प्रकार का कवक है।
4. कवकों में अनेक लंबी धागे जैसी संरचनाएं होती हैं जिसे कवक तंतु कहते हैं।
5. कवक एक कोशिशकीय या बहुकोशिकीय होते हैं और आपस में मिलकर कवक जाल बनाते हैं।
6. कवक की कोशिकाओं में एक या अधिक केंद्रक पाया जाता है।
कवक हमारे लिए लाभदायक तथा हानिकारक दोनों होते हैं उदाहरण के लिए मशरूम भोजन के रूप में तथा पेनिसिलियम नामक कवक से पेनिसिलियम नामक प्रतिजैविक दवाई बनाई जाती है। पक्सीनिया नामक कवक गेहूं में रोग उत्पन्न करता है। मनुष्य में कवक द्वारा उत्पन्न होने वाला रोग मुख्यता दाद है। कई बार सिर में होने वाले दाद से व्यक्ति गंजा भी हो जाता है।
शैवाल क्या है, शैवाल की विशेषताएं
1. शैवाल को सामान्य भाषा में काई भी कहते हैं।
2. यह सामान्यता जल में पाए जाते हैं।
3. कुछ शैवाल जैसे क्लोरेला, क्लेमाइडोमोनास एवं डायटम्स एककोशीय होते हैं। परन्तु कुछ शैवाल बहुकोशिकीय होते हैं।
4. शैवाल में जड़, तना, पत्ती का आभाव होता है।
5. इनमें केन्द्रक पाया जाता है।
6. शैवाल हमारे लिए लाभदायक होते हैं।
7. यह भोजन तथाचार्य के रूप में भी उपयोग किए जाते हैं।
शैवाल से क्लोरेलिन नामक प्रतिजैविक दवाई बनाई जाती है सेफेल्यूरोस वाइरीसेंस नामक हरा शैवाल चाय की फसलों पर रोग उत्पन्न करता है नदियों तथा समुद्रों में पाया जाने वाला डाइटम्स का उपयोग टूथपेस्ट तथा वार्निश एवं पेंट बनाने में होता है।
उपयोगी सूक्ष्मजीवों एवं उनके प्रभाव
सूक्ष्मजीव मनुष्य के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं मनुष्य सूक्ष्मजीवो का उपयोग दही , सिरका तथा शराब बनाने में बहुत पहले से करता रहा है। दूध से दही बनाने में लैक्टोबैसिलस नामक जीवाणु सहायक है। पनीर, सिरका ब्रेड और खमीर आदि बनाने में ईस्ट नामक फफूंद का विशेष योगदान है। इसके अतिरिक्त सूक्ष्मजीवों का हमारे जीवन में उपयोग निम्नलिखित हैं-
- प्रतिजैविक दवाएं बनाने में
- नाइट्रोजन स्थिरीकरण
- सूक्ष्मजीवों द्वारा कार्बनिक पदार्थों का अपघटन
- भोजन के रूप में
- उद्योग धंधों में
- आनुवंशिक अभियांत्रिकी में
हानिकारक सूक्ष्मजीवों के प्रभाव
सूक्ष्मजीवो द्वारा मनुष्य जंतुओं और पेड़ पौधों में अनेक रोग होते हैं । जीवाणुओं द्वारा मनुष्य में तपेदिक, निमोनिया, टाइफाइड आदि रोग होते हैं। दाद नामक रोग ट्राईकोफाइटान तथा माइक्रोस्पोरम नामक कवक से होता है जंतुओं में अनेक रोग होते हैं भेंड़ का एंथ्रेक्स रोग बैसीलस एंथ्रेक्स नामक जीवाणु द्वारा होता है। पौधों में अनेक रोग होते हैं जैसे -नींबू का कैंकर रोग, जैंथमोनस नामक जीवाणु द्वारा आलू की पछेती अंगमारी नामक रोग, फाइटोप्थोरा इन्फेस्टैन नामक कवक द्वारा गेहूं का काला स्तंभ (किट्ट) पिक्सीनिया कवक द्वारा होता है।
कुछ सूक्ष्म जीव खाद्य पदार्थों को नष्ट कर देते हैं जैसे राइजोपस, म्यूकर आदि कवक, रोटी, ब्रेड आचार मुरब्बा आदि को नष्ट कर देते हैं इसी प्रकार क्लॉस्ट्रीडियम बोटूलिनम नामक जीवाणु खाद्य पदार्थों को विषाक्त कर देते हैं।
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