ध्यान या अवधान (Attention)
अर्थ एवं परिभाषा :
संसार में अनेक प्रकार की वस्तुएं होती हैं जिनके बारे में सुनते हैं तथा आकर्षित होते हैं । कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जिनके ऊपर हमारी चेतना अनायास केंद्रित हो जाती है । चेतना का किसी वस्तु पर इस प्रकार केंद्रित होने को ‘ध्यान’ या ‘अवधान’ कहते हैं ।
डंम्विल के अनुसार :
“किसी दूसरी वस्तु की अपेक्षा एक वस्तु पर चेतना का केंद्रीकरण अवधान है”
रास के अनुसार :
“अवधान विचार की वस्तु को मानसिक के सामने स्पष्ट रूप से लाने की प्रक्रिया है”
अवधान के प्रकार :-
रोज के अनुसार :➢
१. ऐच्छिक अवधान -इसमें हम अपनी इच्छा से, जानबूझकर किसी वस्तु पर चेतना को केंद्रित करते हैं यह अवधान अर्जित अभिरुचियों पर निर्भर होता है
➢ यह दो प्रकार का है
1.विचारित अवधान
2.अविचारित अवधान
२. अनैच्छिक अवधान – इस प्रकार के ध्यान में व्यक्ति की इच्छा, अभिरुचि,उद्देश्य तथा बेलना का महत्व नहीं होता है। इनमें अनायास ही बिना इच्छा के किसी वस्तु पर चेतना का केंद्रीकरण होता है।
➢ यह दो प्रकार का है
1.सहज अवधान
2.बाध्य अवधान
ध्यान को प्रभावित करने वाले कारक या दशाएं:
मनोवैज्ञानिकों ने ध्यान को प्रभावित करने वाले कारक या दशाओं को निम्नलिखत दो भागों में विभाजित किया है।
१. वाह्य दशाएं
➢ गति
➢ तीव्रता
➢ नवीनता
➢ आकार
➢ विषमता
➢ स्वरूप
➢ पुनरावृति
➢ रहस्य
२. आंतरिक दशाएं
➢ मूल प्रवृत्तियां
➢ आवश्यकता
➢ उद्देश्य या लक्ष्य
➢ आदत
➢ संवेग
➢ रुचि
➢ संवेग
➢ वंशानुक्रम
➢ जिज्ञासा
अवधान केंद्रित करने के उपाय :-
अवधान केंद्रित करने के लिए निम्नांकित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है।
➢ उपयुक्त एवं शांत वातावरण
➢ विषय की तैयारी
➢ विषय में परिवर्तन
➢ सहायक सामग्री का प्रयोग
➢ शिक्षण की विभिन्न विधियों का प्रयोग
➢ बालक की मूल प्रवृत्तियों का ज्ञान
➢ उचित व्यवहार
➢ बालकों के प्रयास को प्रोत्साहन
रसि या अभिरुचि (INTEREST)
रुचि अधिगम की ऐसी व्यवस्था है जिसका शिक्षक तथा छात्र दोनों में पाया जाना आवश्यक है। बिना रुचि के छात्र का अब ध्यान केंद्रित नहीं होता है।
अर्थ एवं परिभाषा :-
रुचि शब्द अंग्रेजी शब्द interest शब्द का हिंदी रूपांतरण है interest शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द interesse से हुई है जिसका तात्पर्य है – It’s makes a difference’ (इसके कारण अंतर होता है) इस प्रकार जिस वस्तु में हमें रूचि होती है वह हमारे लिए दूसरी वस्तुओं से भिन्न होती है।
क्रो व क्रो के अनुसार :-
“अभिरुचि वाह प्रेरणा -शक्ति है ,जो हमें किसी व्यक्ति, वस्तु या क्रिया की ओर ध्यान देने के लिए प्रेरित करती हैं।”
ड्रे्वर के अनुसार :-
“अभिरुचि अपने क्रियात्मक रूप में एक मानसिक संस्कार है।”
भाटिया के अनुसार :-
“रुचि का अर्थ है – दो वस्तुओं में अंतर करना”
मैक्डूगल के अनुसार :-
“अभिरुचि गुप्त अवधान है और अवधान अभिरुचि का क्रियात्मक रूप है”।
रुचि के प्रकार :-
रुचियां मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं।
१. जन्मजात रुचि
मूल प्रवृत्तियां के कारण जो रुचियां उत्पन्न होती हैं उन्हें जन्मजात रुचि कहते हैं ।
जैसे :- खाने -पीने की रूचि ,बच्चों में खेलने- कूदने की रूचि आदि
२. अर्जित रुचि
जो रुचि अर्जित संस्कारों (जैसे -आदत, स्वभाव ,व्यवहार) के कारण उत्पन्न होती है उसे अर्जित रुचि कहते हैं।