इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायण |
नंबी नारायण का जीवन परिचय
नंबी नारायण का जन्म 12 दिसम्बर 1941 में भारत के तमिलनाडु राज्य के एक तमिल परिवार में हुआ। नंबी नारायण एक महान भारतीय वैज्ञानिक हैं। जो इसरो में एक एयरो स्पेश वैज्ञानिक थे। उन्होंने भारत के महान वैज्ञानिक ‘विक्रम साराभाई’, ‘एपीजे अब्दुल कलाम’ तथा ‘सतीस धवन’ के साथ काम किया है।
नाम (Name) | नंबी एस नारायण |
जन्म | 12 दिसम्बर 1941 |
जन्मस्थान | तमिलनाडु |
गृहनगर | नागरकोइल, तमिलनाडु |
पत्नी का नाम | मीना नारायन |
बच्चे | संकरा (बेटा), गीता अरूणन (बेटी) |
नागरिकता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
पुरस्कार | पद्म भूषण, 2019 |
नंबी नारायण की प्रारंभिक जीवन तथा शिक्षा
नंबी नारायण का प्रारंभिक जीवन उनके गृह नगर नागरकोइल में ही बीता। ये बचपन से ही बहुत बुद्धिमान रहे हैं। इनकी प्रारंभिक शिक्षा डीवीडी हायर सेकेंडरी स्कूल से प्राप्त की, तथा स्नातक की शिक्षा त्यागराजर कॉलेज आफ इंजीनियरिंग, मदुरै से प्राप्त की। इसके बाद इन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, न्यू जर्सी (यूएसए) से शिक्षा प्राप्त की।
नंबी नारायण का एक वैज्ञानिक के तौर पर कार्य
नंबी नारायण यूएस के नासा स्पेस एजेंसी के ऑफर को ठुकरा दिया तथा अपने देश भारत लौट आए तथा इन्होंने इसरो में इंजीनियर के तौर पर कार्य किया। नंबी नारायण एक क्रोयोजेनिक टेक्नोलॉजी पर रिसर्च शुरू की। इस टेक्नोलॉजी के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करने के लिए रूस गये। वहां इस टेक्नोलॉजी के बारे में बहुत अधिक जानकारी प्राप्त की और उस क्रोयोजेनिक राकेट इंजन बनाने वाली टेक्नोलॉजी रसिया के वैज्ञानिकों से प्राप्त की। इस टेक्नोलॉजी को प्राप्त करने के बाद वो भारत लौटे तथा सर्वप्रथम यह जानकारी अपने गुरू विक्रम साराभाई को बताना चाही, कि क्रोजेनिक टेक्नोलॉजी भारत को प्राप्त हो चुकी है, लेकिन जब वो विक्रम साराभाई के आवास पहुंचे तो पता चला कि उनका देहांत हो चुका है। तथा कुछ समय बाद नंबी नारायण को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है। इस परिस्थिति में उनको कुछ समक्ष नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है। पुलिस गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ करने के लिए ले गई।
नंबी नारायण पर लगे जासूसी के आरोप
नंबी नारायण पर जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। नंबी नारायण पर पाकिस्तान को क्रोयोजेनिक राकेट इंजन की टेक्नोलॉजी बेचने का आरोप लगाया गया। इसमें मालदीव के दो खुफीया अधिकारी मरियम रसीदा तथा फौजिया हसन पर भी केस चला। बताया जा रहा है कि मरियम रसीदा तथा फौजिया हसन हाथ था नबीं जी को के लिए। अब तक जो सच सामने आया है उसमें यह बताया जा रहा है कि इस सब के पीछे अमेरिका का हाथ था। उस समय अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत स्पेस में अपनी पहुंच बना सके। इसलिए वह भारत के महान वैज्ञानिक नंबी नारायण को जासूसी के जाल में फंसाया।
नंबी नारायण जी को सुप्रीम कोर्ट ने निर्दोष घोषित किया
नंबी नारायण जी की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में बहुत अधिक टार्चर किया गया। बताया जाता है कि पूछताछ के समय नंबी नारायण जी के साथ वहां के अधिकारियों द्वारा बहुत ही बुरे तरीके के साथ व्यवहार किया जाता था। ऐसा व्यवहार जो एक एक आतंकवादी के साथ किया जाता है। फिल्म ‘राकेटरी’ के मुताबिक टार्चर के दौरान नंबी नारायण बेहोस हो जाते थे। इस तरह यह के कई वर्षों तक चलता रहा तथा फिर वर्ष 1996 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एक फैसला सुनाया गया जिसमें नंबी नारायण जी को निर्दोष घोषित किया तथा उन अधिकारियों पर जांच के आदेश दिए जो नंबी नारायण जी के इन्क्वायरी के अधिकारी थे तथा केरल सरकार को नंबी जी को मुआबजा देने का आदेश दिया।
पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित
भरत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में नंबी जो को पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया।
नंबी नारायण पर बनी बायोपिक फिल्म ‘राकेटरी’
आर माधवन के द्वारा निर्देशित फिल्म ‘राकेटरी’ जो कि भारत के महान नंबी नारायण जी के जीवन पर आधारित है। इस फिल्म में नंबी नारायण जी का किरदार में आर माधवन नजर आ रहे हैं। इस फिल्म की बजह से आज हम भारत के इतने बड़े महान वैज्ञानिक नंबी नारायण जी को जान पा रहे हैं।
AFQs
1. भारत सरकार द्वारा नंबी नारायण को किस पुरस्कार से सम्मानित किया?
Ans- पद्म भूषण सम्मान से
2. नंबी नारायण जी किस राकेट इंजन की खोज की ?
Ans- विकास इंजन (क्रोयोजेनिक राकेट इंजन) की खोज की।
3. नंबी नारायण जी का जन्म कब हुआ?
Ans- 12 दिसंबर 1941