प्राकृतिक आपदाएं

 ज्वालामुखी(VOLCANO)

ज्वालामुखी की भूपटल पर  प्राकृतिक दरार  निकास मार्ग होता है जो पृथ्वी की आंतरिक भागसे सम्बन्धित होता है जिसमें ज्वालामुखी उदगार होता है ।  ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या मुख होता है जिससे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, राख आदि बाहर आते हैं। वस्तुतः यह पृथ्वी की ऊपरी परत में एक विभंग होता है जिसके द्वारा अन्दर के पदार्थ बाहर निकलते हैं।  मार्ग द्वारा लावा ,ज्वालामुखी गैस जलवाष्प , राख ठोस पदार्थ बाहर निकलते है जिस स्थान ।से निकलते है उसे क्रिएटर कहते है ।
ज्वालामुखी के प्रकार – 
  • सक्रिय ज्वालामुखी 
  • प्रसुप्त ज्वालामुखी  
  • शांत ज्वालामुखी

  सक्रिय ज्वालामुखी– सक्रिय ज्वालामुखी वर्ष भर सक्रिय रहते हैं। इस प्रकार ये ज्वालामुखी से हमेशा धूल, धुआं, गैसें एवं वाष्प आदि पदार्थ बाहर निकलते रहते हैं, उन््हहे सक्रिय ज्वालामुखी कहते हैं।  ज्वालामुखी से निकला मैग्मा पृथ्वी की सतह पर आता है मैग्मा ज़मीन पर आने के बाद लावा कहलाता हैl लावा ज्वालामुखी में मुख पर और उसके आस-पास के क्षेत्र में बिखर कर एक कोण का निर्माण करती है।

इसके अनेक उदाहरण हैं-
माउण्ट एटना, सिसली, किलायु , हवाई द्वीप,कोटोपैक्सी,इक्वाडोर, माउंट इरेबस-अंटार्कटिका,ओजस डेल सालाडो-अर्जेन्टीना-चिली सीमा पर ,सट्रामबोली-लेपारीदीप,मोनालोवा- हवाई द्वीप,बैरन द्वीप- अंडमान निकोबार द्वीप समूह भारत।

प्रसुप्त ज्वालामुखी
प्रसुप्त ज्वालामुखी ऐसी ज्वला मुखी जिनमें कभी भी उद्गगार नहीं हुआ है, लेकिन भविष्य में उद्गगार होने की संभावना बनी हुई है,इन्हे प्रसचप्र ज्वालामुखी कहते हैं।प्रसुप्त ज्वालामुखी अर्थात  में उद्गार के पश्चात पुनः उद्गार की संभावना नही रह जाती, किन्तु अचानक ही उनसे पुनः उद्गार हो जाते है।
उदाहरण- विसूवियस-इटली,फ्यूजियामा-जापान,क्राकाटोवा-इंडोनेशिया,नारकोनडम -अनडमान निकोबार द्वीप समूह,मेयोन जो कि फिलीपींस में स्थित है।

शान्त ज्वालामुखी
ये ऐसे जवालामुखी हैं जिनमें उदगार  होने की संभावना नहीं है ऐसे ज्वालमुखी का उद्गार पूर्णतः समाप्त हो जाता है और उसके मुंह में जल भर जाता है जिसको क्रेटर कहते हैं।
उदाहरण- चिम्बोराजो-इक्वाडोर, किलिमंजारो-तन्जानिया,पोपा-म्यामार ,एकांकागुआ,-एण्डीज पर्वत ,कोहली सुल्तान, एवं देव वन्द जो कि ईरान में स्थित है।


ज्वालामुखी से निकले वाले पदार्थ – ज्वालामुखी से निकले वाले पदार्थ बाहर निकलते हुए देखा गया है कि वह कितनी गति से बाहर निकलते हैं।ज्वालामुखी से निकले प्रदार्थों निम्न लिखित नीचे दिए गए हैं-
  •  गैसें
  • लावा
  • जलवाष्प
  • मिट्टी
  • धुआं



गैसें – ज्वालामुखी उदगार के समय अनेक प्रकार की गैसे निकलती हैं जिनके प्रभाव से हमारा वातावरण प्रदूषित होता है इसमें अनेक प्रकार की गैसे निकलती हैं जैसे -कार्बन डाई ऑक्साइड,कार्बन जमोनोमोनोऑ,सल्फर डाई ऑक्साइड इत्यादि गैसे निकलती हैं।

लावा- इसमें जब ज्वालामुखी उद्गगार होता है तो भू गर्भ के अन्दर का मैग्मा दर्वित होकर बाहर की ओर निकलने लगता है तथा निकलते हुए पृथ्वी पर फैल कर जम जाता है।
जल वाष्प- ज्वालामुखी उदगार के समय जल वाष्प बहुत ही मात्रा में निकलता है इसमें से उनके प्रकार की गैसे निकलती है।


मिट्टी– ज्वालामुखी उदगार के पश्चात् निकला हुआ मैग्मा दर्वित होकर बाहर निकलते हुए पृथ्वी पर फैल कर जम जाता है और उसके बाद ठंडा होने पर वह मिट्टी में परिवर्तित हो जाता है ।यह मिट्टी बहुत ही उपजाऊ होती है 
नोट – यह मिट्टी कपास की खेती के लिए बहुत ही लाभदायक होती है।

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धुआं – सक्रिय ज्वालामुखी के आस पास के क्षेत्रों में  ज्वालामुखी उद्गगार के समय वहां का वातावरण अत्यधिक प्रदूषित हो जाता है।
अतः हमारे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की वृद्धि होती है जिससे भूमि का तापमान में वृद्धि होती है जिसका परिणाम परे विशेषविश्व को भुगतना पड़ रहा है। लेकिन यह कोई मानवीय कारणों से नहीं होता है यह एक प्राकृतिक आपदा है।
ज्वालामुखी के रूप
ज्वालामुखी के रूप

ज्वालामुखी के रूप- ज्वालामुखी से लावा और अन्य प्रदार््थ ज्वालामुखी के चारों तरफ जमा होने लगता है तब ज्वालामुखी शंकु बनते हैं,।
ज्वालामुखी छिद्र सक्रिय ज्वालामुखी पर्वत के ऊपर लगभग बीच में एक छिद्र होता है।जिसे ज्वालामुखी छिद्र कहते हैं।
ज्वालामुखी नदी – सक्रिय ज्वालामुखी छिद्र का सम्बन्ध धारातल के नीचे एक पतली नली से होता है।जिसे ज्वालामुखी नली कहते हैं।
ज्वालामुखी का मुंह- जब सक्रिय ज्वालामुखी का छिद्र बडा़ होता है तो उसे ज्वालामुखी का मचह कहते हैं।

महतवमहत्व ज्वालामुखी से संबंधित बिन्दु-
1 गीजर(गेसर)- ज्वालामुखी के छिद्र से होकर भूमिगत जल स्रोत से वाष्प और अति उष्ण जल का प्रचण्ड निकास गीजर कहलाता है।
जैसे- यलोस्टोन पार्क  (USA) में स्थित ओलडओ फेथफुल गीजर ।

2 धुंआरे- ऐसे छिद्र जिसके सहारे  गैस तथा वाष्प निकलती है,वे  धुंआरे कहलाती है धुंआरे ज्वालामुखी की सक्रियता के अन्तिम लक्षण माने जाते हैं।
3 विश्व का सबसे ऊंचाई पर स्थित सक्रिय ज्वालामुखी ओजस डेल सालाडो है।
4 विश्व का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी पर्वत कोटापैक्सी जो इक्वाडोर में स्थित है।
5 विश्व का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी किलायु है।

 भूकम्प EARTHQUAKE


भूकम्प वे झटके या तरंगें होती हैं जो कुछ समय के लिए आती है जिससे बहुत ही जान माल का नुक़सान हो सकता है।भूकम्प ज्ञात अथवा अज्ञात कम्पन अथवा लहर है,जो धरातल के नीचे अथवा ऊपर चट्टानों के लचीलेपन या गुरुत्वाकर्षण की समस्थित में क्षणिक अवस्था होने पर उत्पन होती है।

भ्रसन क्रिया(FAULTING) भ्रंसन क्रिया के द्वारा भूकम्प आया है।
भूक्मप मूल (FOCUS) भूकम्प मूल में भूकम्प का सर्वप्रथम आविर्भाव होता है।
अभिकेंद्र(EPICENTER)- अभिकेंद्र में सर्व प्रथम भूकम्प लहरों का अनुभव होता है। भूकम्प केन्द्र के चारों ओर समान भूकम्पीय तीव्रता की खींची जाने वाली रेखाएं सम भूकम्पीय रेखा कहलाती है।
भूकम्पमापी(SEISMOGRAPH) – यह एक भूकम्पीय तरंगो को मापने वाला यंत्र है।
भूकम्प विज्ञान(SEISMOLOGY) – सिस्मोलोजी के द्वारा लहरों का अध्ययन किया जाता है।

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भूकम्प का केन्द्र

     जब भूकम्प  आता है तो उसमें तीन प्रकार की तरंगे उत्पन्न होती हैं जिन्हें प्राथमिक लहरें,दितीयक लहरे,धारातलीय लहरे।

  • प्राथमिक तरंगें (Pwaves)
  • द्वितीयक तरंगें (S waves)
  • धरातलीय तरंगें (L waves)

प्राथमिक तरंगें (Pwaves)–  इनकी औसत गति 8से14 किलोमीटर प्रति सेकंड के बीच में होती है।
इनकी गति सबसे अधिक होती है ये सबसे पहले धारातल पर पहुंचती है।ये तरंगें ध्वनि के समान होती है  प्राथमिक तरंगें ठोस व तरल दोनों ही माध्यमों से हो कर गुजर सकती हैं और माध्यम को अपनी दिशा के सापेक्ष आगे-पीछे हिलाती है। यह तरंगें अपेक्षाकृत तेज गति से चलती हैं और द्वितीयक तरंगों से पहले पृथ्वी की सतह तक पहुँच जाती हैं।  ठोस, द्रव, गैस में यात्रा कर सकती है।इन्हें अनुदैध्यर तरंगें कहते हैं।

द्वितीयक तरंगें (S waves)– ये तरल प्रदाथो से नहीं गुजरना पाती हैं इसलिए सागरो में ये लुप्त हो जाती है। यह तरंगें धीमी गति से चलती हैं और प्राथमिक तरंगों के बाद पृथ्वी की सतह तक पहुँचती हैं। किसी भी माध्यम में इन तरंगों की गति सामान्यतः प्राथमिक तरंगों की गति से 40 प्रतिशत कम होती है।
इसे अनुप्रस्थ तरंगें कहते हैं क्योकि ये प्राथमिक लहरों के बाद उत्पन्न होती हैं।

भूकम्पीय तरंगे
भूकम्पीय तरंगे


धरातलीय तरंगें (L waves) – इसे लम्बी लहरें भी कहते हैं कर्मों कि इनका भ्रमण समय अधिक होता है तथा ये सर्वाधिक दूरी तय करते हैं।
यह सर्वाधिक विनाशक तरंगें होती हैं इनका वेग से कम होता है।

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भूकम्प किन कारणों से आता है– 

  1. भूकम्प आने के निम्न लिखित कारण है।
  2. प्लेट विवर्तनिक
  3. ज्वालामुखी क्रिया 
  4. भूपटल भ्रंश 
  5. अन्तरिक गैसों का फैलाव
  6. भूसंतुलन में अव्यवस्था
  7. भूपटल में सिकुड़न होना
  8. मानव जनित कारक

भूकम्प की तीव्रता


रिक्टर पैमाना – रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है।इस पैमाने पर भूकम्प के वेग में एक अंक की वृद्धि 10गुना अधिक तीव्रता को प्रर्दशित करती है।
इस पैमाने का विकास 1945 ई.मे अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्स फ्रांसिस रिकटर दवा किया गया है।


मारकेली पैमाना — फिलहाल इसका प्रयोग अब नहीं किया जा रहा है। इसमें भूकम्प का मापन‌ भूकम्प द्वारा होने वाली क्षति के आधार पर किया जाता है।

भूकम्प से बचने के सुझाव–
भूकंप जानलेवा होता है. आमतौर पर लोग इससे बचाव को सावधान नहीं रहते, क्योंकि इसका सामना उन्हें बार-बार नहीं करता होता है. ऐसे में लोगों को भूकंप से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए और उससे बचाव के न्यूनतम तौर तरीके जानना चाहिए, ताकि वे इससे अपनी रक्षा कर सकें. आइए जानें कैसे भूकंप से बच सकते हैं ।
1. घर से बाहर निकलकर खुले में आने की कोशिश करें. ऐसे जगह जाइए जहां आसपास कोई बड़ी इमारत और पेड़ न हो। 
2. अपने सिर और गर्दन को  तकिए या हाथ से बचाने की कोशिश करें।
 3. लिफ्ट का उपयोग न करे क्योंकि अचानक बिजली जाने से आप फंस सकते है।
 4. अगर आप भूकंप के दौरान गाड़ी चला रहे हो तो पुल पार करने की कोशिश न करें ।
5.  घर में किसी बड़े फर्नीचर और खिड़की के नजदीक न रहें।
6. हमेशा मीडिया के संर्पक में रहे ,इससे आप भूकंप संबधी जानकारी से अपडेट रहेंगे।

सुनामी (TSUNAMI)

सुनामी शब्द जापानी शब्द है जिसका अर्थ *वे समुुद्री लहरें जो 


समुंद्र में आती हैं। इस प्रकार अन्तह सागरीय भूक्मपो द्वारा उत्पन्न लहरों को सुनामी कहते हैं।
1. यह लहरें सागरीय तटों पर भारी विनाश करती है
2. इनकी गति 100 -150किमी.प्रति घन्टा होती है।
3. गहरे सागर में सुनामी की लम्वाई सर्वाधिक होती है,लेकिन सागर की तक के ओर जाने पर कम होती जाती है।
4. हिन्द महासागर में 26 दिसंबर 2004 को आई सुनामी महान विनाशकारी साबित हुई ।
5. सुनामी लहरों की दृष्टि से प्रसान्त महासागर में सबसे ख़तरनाक समर्थित में है।

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6. वर्ष 2011मे तोहोकु   भूक्मप ,आया जिसकी तीव्रता 9.0 स्केल पैमाने पर था।तथा 235 बिलियन डॉलर का नुक़सान हुआ था।
7. मृत्यु के मामले में सबसे विनाश कारी भूकम्प का उदाहरण 23जनवरी 1956का शाझी चीन का भूकम्प जिसमें 8.20000 लोग मारे गये  थे।





         

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