ऊतक (Tissue) किसे कहते हैं | ऊतक के कार्य

 ऊतक (Tissue) किसे कहते हैं

ऊतक (Tissue) किसे कहते हैं | ऊतक के कार्य

सभी जीवित प्राणी व पौधे कोशिकाओं से बने होते हैं। जैसे अमीबा,  पैरामीशियम एक कोशिकीय जीवों मैं सभी जैविक क्रियाएं (श्वसन, पाचन, उत्सर्जन आदि) एक ही कोशिका में संपन्न होती हैं। बहुकोशिकीय  जीवो में असंख्य कोशिकाएं होती हैं। इनमें विशेष कार्य कोशिकाओं के समूह द्वारा किया जाता है। जैसे मनुष्य में पेशीय कोशिकाओं का समूह संकुचन एवं प्रसारण करता है, तंत्रिका कोशिकाएं संदेशों को पहुंचाने का कार्य करती हैं तथा पौधों में जल का संवहन जाइलम द्वारा होता है कोशिकाओं के ऐसे समूहों को ऊतक कहा जाता है। शरीर के अंदर ऐसी कोशिकाएं जो एक तरह के कार्य को संपन्न करने में दक्ष होती हैं, वे समूह में होती हैं।

ऊतक की परिभाषा 

समान रचना का उत्पत्ति वाली कोशिकाओं का समूह जिनके द्वारा विशिष्ट कार्य संपन्न होते हैं ऊतक कहलाता है।

पादप ऊतक 

जंतुओं में लंबाई में वृद्धि एक निश्चित आयु तक होती है परंतु पौधों में वृद्धि जीवन भर होती है जिससे नई शाखाएं बनती हैं। अतः इससे स्पष्ट है कि पौधों के कुछ उत्तक जीवन भर विभाजित होते रहते हैं। ये ऊतक  पौधों के कुछ भागों में सीमित रहते हैं। ऊतको‌ के विभाजन क्षमता के आधार पर ही पौधों के ऊतकों को प्रविभाजी ऊतक एवं स्थाई ऊतक में वर्गीकृत किया जाता है।
1. प्रविभाजी ऊतक 
पौधों में वृद्धि कुछ निश्चित क्षेत्रों में (जड़ तथा तने) की कलिकाओं के सिर्फ भाग में होती है। ऐसा विभाजन उन भागों में पाए जाने वाले उत्तक के कारण होता है ऐसे ऊतक को परिभाषित तक या निरंतर विभाजित होने वाला ऊतक कहा जाता है।
2. स्थायी ऊतक 
यह पादप शरीर में विकसित होकर तथा विभाजन क्षमता खोकर अन्य विशिष्ट कार्य करती हैं इनके समूह को स्थाई उत्तक कहते हैं। जैसे – जड़ तना पत्ती तथा अन्य भागों में स्थाई ऊतक देख सकते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं – सरल ऊतक एवं जटिल ऊतक यह दोनों ऊतक मिलकर बढ़ते  हुए पादप का गठन करते हैं। सरल ऊतक एक ही प्रकार के कोशिकाओं से बने होते हैं। पादप निर्माण में इन ऊतकों का विशेष योगदान है। जटिल ऊतक एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं इन्हें संवहन उत्तक भी कहते हैं जाइलम और फ्लोएम जटिल ऊतकों के ही उदाहरण हैं।

पादप ऊतक के कार्य

  • पौधों की जड़ों द्वारा अवशोषित जल एवं खनिज लवण को पत्तियों तक पहुंचाने का कार्य जाइलम करते हैं।
  • पत्तियों में निर्मित भोज्य पदार्थ पौधों के विभिन्न अंगों तक पहुंचने का कार्य फ्लोयम द्वारा होता है।
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जंतु ऊतक

कार्य के आधार पर जंतु ऊतक कई प्रकार के होते हैं ।

1. एपीथिलियम ऊतक

एपिथीलियम ऊतक शरीर और अंगों के बाह्य स्तर बनाते हैं। यह तक पूरे शरीर का बाहरी आवरण बनाता है अतः इसे आवरण ऊतक भी कहा जा सकता है। जैसे मुख गुहा आमाशय आंत, श्वास नली, फेफड़े रक्त नलिकाओं आदि की भीतरी सतह इसी ऊतक की बनी होती है।
एपीथिलियम ऊतक
एपीथिलियम ऊतक

2. संयोजी ऊतक

संयोजी उत्तक विभिन्न अंगों को जोड़ता हैं और सहारा प्रदान करते हैं जैसे अस्थि रक्त आदि। यह उसको के बीच के स्थानों को भरने दृढ़ता प्रदान करने में भी सहायक होते हैं संयोजी उत्तक कई प्रकार के होते हैं। जैसे-
  1. अंतरालीय ऊतक 
  2. अस्थि या उपास्थि 
  3. रक्त

3. पेशी ऊतक

मानव शरीर में कुछ विशेष कोशिकाएं होती हैं जिन्हें पेशी कोशिकाएं कहते हैं। पेशीय कोशिकाओं के समूह पेशी उत्तक बनाते हैं। यह अंगों को गति प्रदान करने में सहायक होते हैं।
रेखिय पेशीय ऊतक
रेखिय पेशीय ऊतक

4. तंत्रिका ऊतक

तंत्रिका ऊतक तंत्रिका कोशिकाओं से मिलकर बना होता है जिसे न्यूरॉन भी कहते हैं। प्रत्येक न्यूरॉन का मुख्य भाग तंत्रिका क्या कहलाता है। तंत्रिकाकाय अनेक धागे जैसी रचनाएं निकलती हैं जिन्हें डेंन्ड्रान कहते हैं। तंत्रिकाकाय एक प्रवर्ध मोटा लंबा व छोर पर शाखान्वित होता है। जिसे तंत्रिकाक्ष (एक्सान) कहते हैं। तंत्रिका काय एक स्पष्ट केंद्र को होता है एक कोशिका का तंत्रिकाक्ष दूसरी कोशिका के डेन्ड्राइट के सम्पर्क में रहते हैं। इस प्रकार शरीर में तंत्रिकाओं का एक जाल सा बन जाता है। मस्तिष्क वह रीढ़ ,रज्जु भी तंत्रिका ऊतकों के बने होते हैं।
तंत्रिका कोशिका का चित्र
तंत्रिका कोशिका का चित्र

ऊतकों के कार्य

  • ऊतक शरीर को आकृति प्रदान करते हैं।
  • ऊतक आधार का र्निमाण करते हैैं। 
  • हृदय, फेफडे आदि को सुरक्षित रखने का कार्य भी करते हैं। 
  • यह पौधों को सामर्थ्य, दृढ़ता एवं लचीलापन प्रदान करता हैं।
  • पेशियों को आधार प्रदान भी करते हैं
  • यह पौधों को यांत्रिक सहारा प्रदान करता हैं।
  • यह पौधों के आंतरिक भागों की रक्षा करता हैैं।
  • पौधों के बाह्य परतों में यह रक्षात्मक उत्तक के रूप में कार्य करता हैं।
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