इसरो ने लांच किया आजादी सैटेलाइट | ISRO launched Azadi Stellite

आज इस पोस्ट में बात करेंगे हम स्पेस अंतरिक्ष के बारे में जिसे हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) ने आजादी सैटेलाइट [AzadiSAT] को लांच किया है। जो कि अंतरिक्ष में पहुंचकर भारतीय झंडा तिरंगे को प्रदर्शित करेगी। या सैटेलाइट बहुत ही कम भार की‌ है। इसे इसरो ने एस.एस.एल.वी. (SSLV) प्रक्षेपण यान से लांच किया है। इसका पूरा नाम Small Satellite Launch Vehicle है।

इसरो ने लांच किया आजादी सैटेलाइट | ISRO launched Azadi Stellite

क्या है आजादी सैटेलाइट

सैटेलाइट भारत पहला सबसे छोटा कम भार का उपग्रह है। इसे भारत अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) ने लांच किया है। यह जिस प्रक्षेपण  यान से लांच किया गया है उसका नाम SSLV (Small Satellite Launch Vehicle) है। जिसे लांच के लिए तैयार करने के लिए मात्र 72 घंटे की आवश्यकता होती है। यह आजादी सैटेलाइट जो पृथ्वी के धरातल से 300 किमी दूर आसमान में वायुमंडल की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा 7 अगस्त 2022 को श्रीहरिकोटा से एक छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान भेजा गया है। यह तीन चरणों में सफलतापूर्वक पृथ्वी के आर्वीटर में स्थापित होगा। आजादी सैटेलाइट का उद्देश्य ‘आजादी सैट’ उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करना है। यह उपग्रह को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया।

क्या है एस.एस.एल.वी. (What is SSLV Rocket)

वर्तमान में इसरो के नए चेयरमैन डॉ एस स्वामीनाथन बने हैं। उनका एक मीटिंग में भारत सरकार के अंतरिक्ष मंत्री श्री जीतेंद्र सिंह के साथ एक मीटिंग हुई इस मीटिंग में उन्होंने बताया कि इसरो अप्रैल के महीने में एक नया रॉकेट एसएसएलवी (SSLV) लॉन्च करेगा। लेकिन कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण अप्रैल महीने में लांचिंग न होकर यह अगस्त महीने में इसकी लांच की तारीख रखी गई। “एसएसएलवी ” एक बहुत ही कम वेट वाला रॉकेट है जो बहुत ही कम समय में कोई भी हल्का उपग्रह लांच कर सकता है। 

SSLV राॅकेट का मुख्य उद्देश्य 

SSLV Rocket का मुख्य उद्देश्य छोटे उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षाओं में प्रक्षेपित करने के लिए बनाया गया है। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छोटे सैटेलाइट को लांच करना है। हाल के वर्षों में छोटे उपग्रहों के लिए विकासशील देशों, निजी निगमों और विश्वविद्यालयों की आवश्यकता के कारण यह SSLV ROCKET बनाया गया है। इससे कम लागत में इसरो को अधिक लाभ होगा। अब तक इसरो कोई भी सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए पीएसएलवी या जीएसएलवी जैसे बड़े प्रक्षेपण यान का प्रयोग करता था क्योंकि उसके पास कोई छोटा प्रक्षेपण यान नहीं था। आपको बतादे कि इसरो कम भार के सैटेलाइट भी बड़े राकेट से लांच करना पड़ता था क्यों कि इसरो के पास कोई छोटा लांच व्हीकल नहीं था। इन PSLV AND GSLV Launch Vehicle को लांच के लिए तैयार करने वाले बहुत ज्यादा लागत लगती थी तथा समय भी लगभग 3-4 महीने लग जाते थे। इसके साथ अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता होती थी। तब जाकर ये राकेट लांच के लिए तैयार होते थे।

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इसरो ने इन समस्याओं से निपटने के लिए तथा कम लागत में छोटे सैटेलाइट को लांच करने के लिए SSLV LAUNCH VEHICLE को तैयार किया। इसे बहुत ही कम समय में मात्र 72 घंटों में लांच के लिए तैयार किया जा सकेगा। इसरो इस लांच व्हीकल से विभिन्न देशों के छोटे सैटेलाइट को लॉन्च करके बहुत ही अच्छी खासी आय अर्जित कर सकेगा।

दूसरे देश क्यों लांच कराते हैं इसरो से अपने सैटेलाइट 

विश्व में कुछ ही अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी या हैं जो सेटेलाइट स्पेस में स्थापित करने की क्षमता है। ऐसे ही विश्व में भारत की स्पेस एजेंसी इसरो का डंका बज रहा है। बहुत बहुत सारे देश अपने सैटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए बहुत सी कंपनियों को अपने सेटेलाइट को लांच कराने के लिए उनको मिलियनस् डाॅलर में भुगतान करते हैं। जिससे इन कंपनियों को काफी ज्यादा कमाई होती है। इस प्रकार इसरो भी विश्व के विभिन्न देशों के सेटेलाइट लांच करने का कॉन्ट्रैक्ट लेती है। इन देशों के साथ विश्व की बड़ी – बड़ कंपनियां जो स्वयं के सैटेलाइट लांच कराती हैं। 
पहले इसरो किसी भी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए SSLV LAUNCH VEHICLE न होने के कारण वह PSLV या GSLV LAUNCH VEHICLE  का प्रयोग करती थी। जिससे इसरो को अधिक समय तथा बहुत ज्यादा वजट की आवश्यकता होती थी। अब SSLV को लांच के लिए तैयार करने में बहुत कम समय तथा कम वजट की आवश्यकता होगी। इस प्रकार SSLV इसरो की बहुत बड़ी उपलब्धि है।

एसएसएलवी की मांग

इसरो के अध्यक्ष के सीवान ने एक  बैठक में कहा कि इसरो अकेले राष्ट्रीय मांग को पूरा करने के लिए हर साल लगभग 15 एसएसएलवी की आवश्यकता होती है।  sslv को 2019 में ही अमेरिकी उड़ान से  एक वाणिज्यिक बुकिंग प्राप्त हुई थी, जिसकी घोषणा अगस्त 2019 में की गई थी कि उसने इस डील को ISRO वाणिज्यिक हथियारों से साफ कर दिया है, एक अंतरिक्ष यान उपग्रह नक्षत्र ग्राहक को लॉन्च करने के लिए sslv रॉकेट की दूसरी विकास उड़ान का उपयोग कर रहा है।

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निष्कर्ष

SSLV के विकास के बाद  अंतरिक्ष क्षेत्र और निजी भारतीय उद्योगों के बीच अधिक तालमेल बनाने की उम्मीद है। भारतीय उद्योग के पास पीएसएलवी के उत्पादन के लिए एक संघ है और इसे एसएसएलवी के साथ-साथ एक बार परीक्षण के बाद आना चाहिए।

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