मूर्तीदेवी पुरस्कार
इस पुरस्कार की स्थापना 1983 में भारतीय ज्ञानपीठ समिति के द्वारा किया गया। भारतीय ज्ञानपीठ समिति द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान है। यह पुरस्कार संविधान की 8 वीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से जिस भाषा की कृति पुरस्कार के योग्य होगी उसे भाषा को यह सम्मान दिया जाता है।
स्थापना – सन् 1983
पुरस्कार धनराशि – पुरस्कार में 4 लाख रुपए, प्रशास्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह, वाग्देवी की प्रतिमा दी जाती है।
मूर्ती देवी पुरस्कार विजेता (हिन्दी)
क्र.सं. | सन् | साहित्यकार |
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1 | 1983 | सी के नागराज राव (कन्नड़) |
2 | 1984 | वीरेन्द्र कुमार सखलेचा |
3 | 1988 | विष्णु प्रभाकर |
4 | 1989 | विद्यानिवास मिश्र |
5 | 1990 | मुनि श्री नागराज |
6 | 1992 | कुबेर नाथ |
7 | 1993 | श्यामा चरण दुबे |
8 | 1995 | निर्मल वर्मा |
9 | 2000 | गोविंद चंद्र पांडेय |
10 | 2001 | राममूर्ति त्रिपाठी |
11 | 2002 | यश देव शल्य |
12 | 2003 | कल्याणमल लोढ़ा |
13 | 2005 | डाॅ राममूर्ति शर्मा |
14 | 2006 | कृष्ण बिहारी मिश्र |
15 | 2011 | गुलाब कोठारी |
16 | 2014 | विश्वनाथ त्रिपाठी |
17 | 2019 | विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (33वां) |
18 | 2020 | update soon.. |
#1. सन् 1983 में सर्वप्रथम कन्नड भाषा के साहित्यकार सी.के. नागराज राव को यह पुरस्कार दिया गया था।
#2. हिन्दी साहित्य में सर्वप्रथम 1984 में यह पुरस्कार विरेन्द्र कुमार सखलेचा को दिया गया
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