कार्बन और उसके यौगिक

                 कार्बन Carban

अब तक 111 तत्त्वों में से प्रकृति में प्राप्त 92 तत्त्वों में कार्बन एक महत्वपूर्ण तत्व है जो संसार में पाते जाने वाले सभी सजीव तथा लगभग सभी भोज्य पदार्थों में उपस्थित होता है। कार्बन का प्रतीक ” C ” होता है। कार्बन शब्द लैटिन भाषा के कार्बो शब्द से बना है । कार्बो का अर्थ कोल होता है।
कार्बन की उपस्थिती 
पेन्सिल से कागज पर लिखने पर काला निशान बनाने वाला, लालटेन/लैम्प जलाने पर कांच की चिमनी पर जमी कालिख तथा आंख में लगाने वाला काजल, लकडी को आंशिक रूप से जलाने पर प्राप्त काला पदार्थ क्या है ? उपर्युक्त सभी पदार्थ कार्बन तत्त्व के रूप में हैं। कार्बन एक ऐसा तत्व है जो एक ओर पेंसिल में लगे ग्रेफाइट के रूप में कोमल तथा हीरे के रूप में अत्यंत कठोर और अभूतपूर्व चमक वाला होता है तो वहीं लकड़ी के कोयले के रूप में काला । यहीं नहीं कार्बन सभी सजीवो तथा दैनिक जीवन में प्रत्युक्त होने वाले पदार्थों जैसे- कागज, लकड़ी, रबड़, टायर, कपड़े, तेल, साबुन एवं ईंधन में यौगिक के रूप में उपस्थित होता है। निर्जीव वस्तुओं में भी कार्बन मुक्त रूप एवं यौगिक दोनों ही रूपों में उपस्थित हो सकता है। मुक्त रूप से अपने विभिन्न रूपों में पाया जाता है। संयुक्त अवस्था में कार्बन बहुत से यौगिको में पाया जाता है ।

कार्बन की उपस्थिति यौगिक के रूप में :
आप दैनिक जीवन में ऐसे बहुत से पदार्थों का उपयोग करते हैं जिनके रासायनिक सूत्र जानते हैं। अन्य ऐसे बहुत से यौगिक हैं जिनके रासायनिक सूत्र से आप परिचित नहीं हैं। आइए दैनिक जीवन में कुछ ऐसे पदार्थों के रासायनिक सूत्रों का अवलोकन करें , जिनमें कार्बन उपस्थित है। 
पदार्थ का नाम रासायनिक नाम रासायनिक सूत्र
चूना पत्थर/ खडिया/ संगमरमर कैल्सियम कार्बोनेट CaCO₃
खाने का सोडा सोडियम बाई कार्बोनेट NaHCO₃
धावन सोडा सोडियम कार्बोनेट NaCO₃
कार्बन डाइ ऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड CO₂ 
    इन सभी यौगिको में कार्बन उपस्थित है। प्राकृतिक गैस, कुकिंग गैस, ( एल.पी.जी.), पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, पेराफिन मोम एवं कोलतार आदि में कार्बन , कार्बन हाइड्रोजन के यौगिक के रूप में होता है जिन्हें हाइड्रोकार्बन कहते हैं। भोजन में उपस्थित प्रमुख घटक कार्बोहाइड्रेट, वहां, प्रोटीन, विटामिन आदि कार्बन के महत्वपूर्ण यौगिक हैं, जिनसे शरीर  को कार्य करने के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है और ये शरीर की पेशियों, रक्त, ऊतकों, वाले हड्डियों के निर्माण में सहायक होते हैं। शरीर की कोशिकाओं में कार्बन किसी न किसी रूप में अवश्य उपस्थित होता है। सजीव संसार की संरचना में कार्बन केन्द्रीय तत्व की भूमिका में होता है।
  • सभी सजीवो में कार्बन और उसके यौगिक पाये जाते हैं।
  • कुछ निर्जीव पदार्थों में कार्बन मुक्त या यौगिक के रूप में पाया जाता है।
मुक्त रूप में कार्बन की उपस्थिति :
जैसा कि कार्बन यौगिकों के रूप में हमें प्राप्त होता है। साथ ही कार्बन कोयला, कालिख, ग्रेफाइट, हीरा, आदि विभिन्न रूपों में भी मुक्त अवस्था में प्राप्त होता है। ये सभी पदार्थ कार्बन तत्त्व के विभिन्न रूप हैं जिन्हें हम कार्बन के अपरूप कहते हैं। कार्बन के इन विभिन्न रूपों के सभी रासायनिक गुण तो एक समान होते हैं परन्तु भौतिक गुण भिन्न भिन्न होते हैं । पदार्थ के इस गुण को अपररूपता कहते हैं।
क्रिस्टलीय कार्बन
  • ग्रैफाइट
  • फुलरीन
  • हीरा
अक्रिस्टलीय कार्बन
  • लकड़ी का कोयला
  • जन्तु चारकोल
  • सुगर चारकोल
  • लैम्प ब्लैक
1. कार्बन के क्रिस्टलीय अपररूप
  हीरा, फुलरीन तथा ग्रेफाइट, कार्बन के क्रिस्टलीय अपररूप हैं। इनमें कार्बन परमाणु एक निश्चित व्यव्स्था के अन्र्तगत व्यवस्थित होते हैं। इनकी निश्चित क्रिस्टलीय संरचना होती है जिनके कारण इनके गुणों में विशिष्टता पाई जाती है।

ग्रेफाइट 

           ग्रेफाइट शब्द ग्रीक भाषा के ग्रेफो से बना है, जिसका अर्थ लिखना । पेंसिल के अन्दर पतली छड़ (लीड) जिससे लिखा जाता है, ग्रेफाइट की बनी होती है। ग्रेफाइट में कार्बन के परमाणु इस प्रकार व्यवस्थित रहते हैं कि उनकी अनेक समतलीय परतें होती हैं। प्रत्येक परत पर छ: कार्बन परमाणुओं षटकोणीय छल्ले (रिंग) के रूप में व्यवस्थित रहते हैं। छल्ले का प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से जुड़ा होता है। ग्रेफाइट क्रिस्टल में कार्बन परमाणुओं की षटकोणीय रिंगो से बनी अनेक परतें होती हैं परतों के मध्य क्षीण बलों के कारण ग्रेफाइट नर्म और स्नेहक होता है। ग्रेफाइट सलेटी रंग का मुलायम एवं चिकना पदार्थ है, इसका गलनांक 3700 डिग्री सेल्सियस होता है। यह विद्युत का सुचालक है। इसका प्रयोग विद्युत इलेक्ट्रोड बनाने में किया जाता है। कार्बन के अन्य अपररूपों की तरह यह भी आक्सीजन के साथ अभिक्रिया कर कार्लसन डाइ ऑक्साइड गैस बनाता है।

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पेन्शिल में लगा ग्रेफाइट

 
नोट-
  • ग्रेफाइट अधिक मात्रा में चीन, भारत, श्री लंका, उत्तरीय कोरिया, मैक्सिको में पाया जाता है। यह भारत में बिहार, जम्मू-कश्मीर, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, आन्ध्र प्रदेश,कर्नाटक में पाया जाता है।
  • ग्रेफाइट कृत्रिम रूप से कोक (कार्बन का एक अक्रिस्टलीय रूप) को विद्युत भट्ठी में गर्म करके बना सकते हैं। यह अपारदर्शी होता है।
  • अत्यधिक उच्च दाब तथा ताप पर ग्रेफाइट को हीरे में परिवर्तित किया जा सकता है। उच्च ताप एवं दाब ग्रेफाइट में कार्बन परमाणुओं की संरचना को पुनर्व्यवस्थित कर देता है।
हीरा
       अधिकांश लोग हीरे से परिचित होंगे। आप में बहुत से लोग उसे रत्न के रूप में जानते होंगे। हीरा कार्बन का  एक पारदर्शी क्रिस्टलीय अपररूप‌ है । इसमें कार्बन का एक परमाणु कार्बन के अन्य चार परमाणुओं से जुड़ा होता है । कार्बन परमाणुओं की चतुष्फलकीय व्यवस्था के कारण यह पूर्णतः आबद्ध कठोर तथा त्रिवीमीय संरचना का होता है। हीरा कठोरतम प्राकृतिक पदार्थ है।
कार्बन और उसके यौगिक

हीरे का उपयोग कांच काटने तथा धातुओं में छेंद करने के लिए होता है। इसके विभिन्न कोणों पर काट कर गहने एवं अंगूठी बनाने में भी प्रयोग करते हैं। भारत में हीरा बहुत ही कम मात्रा में पन्ना, सतना (मध्यप्रदेश), बांदा (उत्तर प्रदेश) तथा गोलकुंडा (कर्नाटक) में पाया जाता है।

फुलरीन

            सन् 1985 में रसायनज्ञों ने ग्रेेेफाइट अत्यधिक उच्च ताप तक गर्म कार्बन  का एक नया अपररूप संश्लेषित किया । इसका अणु गोलीय होता है जिसमें अनेक कार्बन परमाणु एक दूसरे से जुड़े होते हैं जैसे C₆₀, C₇अमेरिकी वास्तुकार बकमिन्स्टर फुलर के नाम पर इन गोलीय अणुओं को फुलरीन नाम दिया गया।
2. कार्बन के अक्रिस्टलीय अपररूप
कार्बन के अक्रिस्टलीय अपररूपों में कार्बन परमाणुओं की कोई निश्चित व्यव्स्था नहीं होती है अर्थात इनकी क्रिस्टलीय संरचना नहीं होती है। कोयला, लकड़ी का कोयला, काजल आदि कार्बन के अक्रिस्टलीय अपररूप हैं। कोयलों तथा लकड़ी के कोयले, जन्तु तथा सुगर चारकोल में प्रायः कुछ अशुद्धियां उपस्थित रहती हैं। आइये इन अपररूपों की विस्तृत चर्चा करते हैं।
 
लकड़ी का कोयला (कांसर्ट चारकोल)
   काष्ठ चारकोल लकड़ी को ऑक्सीजन की कम उपस्थिति में दहन कर प्राप्त किया जाता है। इस प्रक्रिया को भंजक आसवन‌ कहते हैं।यह काले रंग का पदार्थ है यह जल से हल्का है जिसके कारण जल में तैरता है। इसका प्रयोग ईंधन के रूप में तथा जल के शोधन में किया जाता है ।
जन्तु चारकोल
  जन्तु चारकोल जानवरों की हड्डियों के भंजक आसवन से बनाया जाता है। जन्तु चारकोल में कैल्सियम फाॅस्फेट के साथ कार्बन लगभग 12% होता है। इसका प्रयोग चीनी उद्योग में गन्ने के रस को रंगहीन करने में तथा फाॅस्फोरस के यौगिक बनाने में किया जाता है।

सुगर चारकोल (कैरामेल)
    सुगर चारकोल कार्बन  का अक्रिस्टलीय अपररूप है। इसे चीनी (C₁H₂₂O₁₁) पर सान्द्र गन्धक के अमरलाल की क्रिया द्वारा बनाया जाता है। गन्धक का अम्ल चीनी से जल को अवशोषित कर लेता है तथा कार्बन शेष रह जाता है। सुगर चारकोल मुख्य रूप से अपचायक के रूप में प्रयुक्त होता है। यह आक्साइड को धातु के रूप में अपचयित करता है।
               C₁₂H₂₂O₁₁  ⟶  12C+11H₂O

लैम्प ब्लैक (कालिख)
यह मोम अथवा तेल को वायु की सीमित मात्रा में जलने पर प्राप्त होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में लैम्प / दीपक से प्रकाश उत्पन्न करने के लिए मिट्टी का तेल प्रयोग किया जाता है। इससे प्राप्त कालिख में कार्बन 98-99% होता है। कालिख का प्रयोग प्रिन्टर की स्याही, जूते की पाॅलिस, तथा रबर, टायर आदि बनाने में किया जाता है।
कुछ और भी जाने :
जब आप बिमार पड़ते हैं या बदन में दर्द होता है तब आप डाक्टर को दिखा कर दवा की गोलियां या पीने के सीरप का प्रयोग करते हैं। कभी कभी हल्के सिर दर्द में आपकी मां आपके माथे में बाम लगा देती हैं जिससे आपको आराम हो जाता है। ऐसे कोई भी पदार्थ जो किसी रोग को रोकने, आराम पहुंचाने या उपचार के उपयोग में आता है, औषधि कहलाता है। अधिकांश औषधियां कार्बन के यौगिक हैं। कुछ प्रमुख औषधियों के नाम एवं उपयोग अधोलिखत हैं-

प्रयोग की जाने वाली औषधि
  1. एन्टीपायरेटिक (ज्वरनाशक)
  2. एन्टीस्पारस्मोडिक (पेट दर्द )
  3.  एनलजिसिक (सर दर्द)
  4.  रोगाणु नाशक (घाव)
  5. एण्टी बायोटिक (पेचिश,कालरा)
और देखें
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