हेलो दोस्तों, आज इस पोस्ट में बात करेंगे कोशिका क्या है, कोशिका की संरचना एवं कार्य, जंतु तथा पादप कोशिका में अंतर के बारे में। कोशिका से बनने वाले प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में जैसे CTET, UPTET, Railway, UP Board , CBSE Board, की परीक्षाओं में मुझे जाते हैं। इसलिए यह टॉपिक बहुत ही महत्वपूर्ण है।
कोशिका क्या है (What is a Cell) –
जिस प्रकार हमारा मकान ईटों से मिलकर बनता है। बहुत ईंटों को जोड़ कर दीवारें खड़ी की जाती हैं और दीवारों से मिलकर कमरा तथा कमरों से मिलकर मकान बनता है। ठीक इसी प्रकार हमारा शरीर बना है, दरअसल शरीर विभिन्न अंग तंत्र जैसे पाचन तंत्र स्वतंत्र कंकाल तंत्र आज से मिलकर बना है यह तंत्र अंगों से मिलकर बनते हैं जैसे- आमाशय, छोटी आंत, नाक, कान, फेफड़े, हृदय आदि। अंग पुनः छोटी-छोटी रचनाओं से मिलकर बनते हैं। जिन्हें उत्तक कहा जाता है। उतक सबसे छोटी रचना कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं।
कोशिका ➡ ऊतक ➡ अंग ➡ अंग तंत्र ➡ शरीर
कोशिका की परिभाषा Definition of Cell
कोशिका शरीर की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। इनकी संख्या जीवो में अलग-अलग होती है जैसे अमीबा पैरामीशियम यूग्लीना आज जीव एक ही कोशिका के बने होते हैं यह एक कोशिकीय जीव कहलाते हैं। केंचुआ, हाथी, मनुष्य, बंदर, बरगद, आदि अनेक कोशिकाएं होती हैं ये बहु कोशिकीय जीव कहलाते हैं।
अमीबा और पैरामीशियम का चित्र |
कोशिका जीवन की आधारभूत संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई है।
कोशिकाओं की विषेशताएं
कोशिकाओं की एक विशेषता या भी होती है कि उनकी आकृति एवं आकार समान नहीं होता जैसे – अमीबा अनियमित आकृति का जीव है, जबकि पैरामीशियम की आकृति चप्पल जैसी होती है। वह उसकी जीवों में शरीर की में उपस्थित कोशिकाएं जबकि कुल अंडाकार घनाकार या अनियमित आकृत की भी हो सकती हैं। साथ ही कुछ कोशिकाएं छोटी तथा कुछ बड़ी भी हो सकती हैं। इस प्रकार कोशिका की आकृति और आकार में काफी विविधता होती है।
विभिन्न आकार की कोशिकाएं |

कोशिका की संरचना
कोशिका की संरचना का अध्ययन करने के लिए सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता होती है। कोशिका का अध्ययन सर्वप्रथम रॉबर्ट हुक नामक वैज्ञानिक ने सन 1665 में किया था। उन्होंने स्वयं के बनाए हुए सूक्ष्मदर्शी से कोशिका को देखा था।कोशिका तीन भागों से मिलकर बनी होती है-
1. कोशिका झिल्ली
2. केंद्रक
3. कोशिका द्रव्य
साथ ही कोशिका द्रव में अनेक छोटी-छोटी रचनाएं भी दिखाई देती हैं जिन्हें कोशिकांग कहते हैैं । संरचनात्मक दृष्टि से पौधे एवं जंतुओं की कोशिकाएं अलग-अलग प्रकार की होती है, पौधे एवं जंतुओं की कोशिकाओं में कुछ कोशिकांग सामान तथा कुछ कोशिकांग आसान होता है।
जंतु एवं पादप कोशिका |
प्रमुख कोशिकांग एवं उनके कार्य
कोशिका में कोशिका झिल्ली केंद्रक आदि अनेक कोशिकांग पाए जाते हैं। कोशिका में पाए जाने वाले प्रमुख कोशिकांग एवं उसके कार्य निम्नवत् हैं-
1. कोशिका झिल्ली –
यह प्रत्येक कोशिका के चारों ओर पाई जाने वाली झिल्ली है जो कोशिका को स्थिर रखती है तथा कोशिका के अंदर बाहर पदार्थों के आदान-प्रदान को नियंत्रित करती है यह सभी कोशिकाओं ने अवश्य उपस्थित रहती है।
2. कोशिका भित्ति–
पौधों की कोशिकाओं में कोशिका झिल्ली के बाहर एक मोटी और मजबूत परत होती है जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं कोशिका भित्ति एक दृढ़ संरचना है जो कोशिका की रक्षा करती है या केवल पौधों में पाई जाती है।
3. केन्द्रक-
यह कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण कोशिकांग है जो सामान्यता जंतु कोशिका के मध्य में होता है परंतु पादप कोशिकाओं में यह परिधि की ओर होता है। इसका कार्य कोशिका की वृद्धि एवं विभाजन करना है। यह पूरी कोशिका की रचना व कार्य पर नियंत्रण रखता है।
4. कोशिकाद्रव्य-
केंद्रक तथा कोशिका झिल्ली के बीच मैं उपस्थित जीव द्रव को कोशिका द्रव्य कहते हैं उसमें कई प्रकार के कोशिकांग पाए जाते हैं जैसे माइट्रोकांड्रिया, गॉल्जीकाय, हरित लवक आदि।
5. माइट्रोकांड्रिया-
यह दोहोरी दिल्ली से गिरी कैप्सूल के आकार की संरचना है जो श्वसन क्रिया में भाग लेकर ऊर्जा उत्पन्न करता है तथा संचित करता है इसे कोशिका का ऊर्जा ग्रह या पावर हाउस भी कहते हैं।
6. हरितलवक-
यह केवल हरे पादप कोशिकाओं में ही पाया जाता है तथा प्रकाश संश्लेषण का कार्य करता है।
7. तारककाय-
यह केंद्रक के पास पाया जाता है तथा कोशिका विभाजन में सहयोग करता है यह सिर्फ जंतु कोशिकाओं में पाया जाता है।
8. रिक्तिका-
यह पादप एवं जंतु दोनों कोशिकाओं में पाई जाती हैं परंतु पौधों में एक बड़ी रिक्तिका केंद्र में होती है जबकि जंतु कोशिकाओं में छोटी-छोटी अनेक रिक्तिकाएं दिखाएं कोशिका में बिखरी होती हैं इनका कार्य पानी लवण आदि पदार्थों का संग्रह करना तथा इनकी मात्रा का संतुलन बनाए रखना है।
9. गाजीकाय-
पदार्थों का संश्लेषण भंडारण एवं श्रावण करना इसका प्रमुख कार्य है।
10. लाइसोसोम-
यह कोशिकाओं में आने वाले पदार्थों को पचाने का कार्य करते हैं।
11. राइबोसोम-
ए प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होते हैं।
12. अंतःप्रद्रव्यी जालिका-
झिल्लियों की बनी हुई जटिल जालनुमा संरचना अंतःप्रद्रव्यी जालिका कहलाती है। जो कि केंद्रक से जुड़ी होती है।
पादप एवं जन्तु कोशिका में अंतर
क्र. | पादप कोशिका | जंतु कोशिका |
---|---|---|
1. | कोशिका भित्ति पाई जाती है | कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती है |
2. | हरित लवक पाए जाते हैं | हरित लवक नहीं पाए जाते |
3. | केंद्रक अनुपस्थित होता है | केंद्रक उपस्थित होता है |
4. | रिक्तिका बड़ी तथा संख्या में एक होती है | रितिका छोटी तथा संख्या में अनेक होते हैं |
5. | केंद्रक पर परिधि की ओर हो सकता है | इसमें केंद्रक मध्य में होता है |
6 | इसमें लाइसोसोम नहीं पाया जाता है। | इसमें लाइसोसोम पाया जाता है। |
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