भारत की पंचवर्षीय योजनाएं (India’s five year plans)
भारत को आजादी मिलने के बाद 1947 में पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में आर्थिक नियोजन समिति गठित हुई। बाद में इसी समिति की सिफारिस पर 15 मार्च 1950 ई. में योजना आयोग का गठन एक गैर सांविधिक तथा परामर्शदात्री निकाय के रूप में किया गया।भारत में पहली पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल 1951ई. से प्रारम्भ हुई। पंचवर्षीय योजनाएं भारत सरकार द्वारा पांच वर्षो के लिए बनाई जाती हैं। इस योजना का उद्देश्य रोजगार के अवसर उपल्बध कराना तथा कृषि उत्पादन पर जोर देना। अब तक 12 पंचवर्षीय योजनाएं शुरू की जा चुकी हैं।
प्रथम योजना आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू तथा उपाध्यक्ष गुलजारी लाल नंदा थे। 15 अगस्त 2014 को योजना आयोग को बंद कर दिया गया।
पहली पंचवर्षीय योजना (1951-56)
- इसकी शुरूआत 1951 में हुई तथा 1956 तक चली।
- प्रथम योजना हेराॅड-डोमर माॅडल पर आधारित थी।
- पहली पंचवर्षीय योजना में ही भाखड़ा नांगल, दामोदर घाटी एवं हिराकुंड बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं चालू की गई।
- यह योजना सफल रही तथा इसने लक्ष्य 2.1 से आगे 3.6 विकास दर को हाशि
- ल किया।
द्वितीय पंचवर्षीय योजन (1956-61)
- इसकी शुरूआत 1956 में हुई तथा 1961 तक चली।
- द्वितीय पंचवर्षीय योजना पी.सी. महालनोबिस द्वारा विकसित 4 क्षेत्रीय माॅडल पर आधारित थी।
- इसमें शामिल क्षेत्र- पूंजीगत वस्तु क्षेत्र, फैक्ट्री उत्पादित उपभोग वस्तु क्षेत्र, लघु इकाई उत्पादन क्षेत्र तथा घरेलु उद्योग क्षेत्र।
- द्वितीय पंचवर्षीय योजना में ही राऊरकेला (उड़ीसा), भिलाई (छत्तीसगढ़), दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल), में इस्पात सयंत्र की स्थापना की गई।
तृतीय पंचवर्षीय योजना (1961-66)
- इसकी शुरूआत 1961 में हुई तथा 1966 तक चली।
- यह योजना भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने तथा स्वत: स्फूर्त बनाने के लक्ष्य के साथ चालू की गई।
- तृतीय पंचवर्षीय के प्लान माॅडल का स्पष्ट उल्लेख नहीं था। किन्तु इस योजना पर महावनोबिस के चार क्षेत्रीय माॅडल, डाॅ. सैण्डे के डिमाॅन्सट्रेसन प्लानिंग माॅडल तथा सुखमय चक्रवर्ती माॅडल का प्रभाव था।
- तीसरी योजना की विफलता का प्रमुख कारण भारत-चीन युद्ध 1962 , भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965, तथा 1965-66 सूखा था।
- फलस्वरूप योजनान्तर्गत मूल्य में वृद्धि खाद्यान्नों में कमी, विदेशी विनिमय संकट, भारी मात्रा में व्यापार खाते में प्रतिकूल शेष आदि समस्याओं से जूझना पड़ा।
चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-74)
- इस योजना की शुरूआत 1969 में हुई तथा 1974 तक चली।
- इस योजना का प्रारूप योजना आयोग के उपाध्यक्ष डी.आर.गाडगिल ने तैयार किया।
- चौथी योजना का मूल उद्देश्य “स्थिरता के साथ आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता की प्राप्ति” था।
- द्रुत गति से औद्योगिक विकास तथा आधार भूत एवं भारी उद्योगों पर विशेष बल दिया गया।
पांचवी पंचवर्षीय योजना (1974-78)
- इस योजना का उद्देश्य गरीबी निवारण एवं आत्म निर्भरता की प्राप्ति था।
- इस योजना को जनता पार्टी की सरकार ने समय से एक वर्ष पूर्व ही समाप्त कर दिया और छठी योजना लागू किया।
- जिसे अनवरत योजना का नाम दे दिया गया इसका प्रतिपादन गुनार मिर्डाल ने किया तथा इसे भारत में लागू करने का श्रेय डी टी लकड़ावाला को है।
छठी पंचवर्षीय योजना (1980-85)
- इस योजना का उद्देश्य गरीबी निवारण और रोजगार में वृद्धि आधुनिकीकरण,आत्मनिर्भरता तथा सामाजिक न्याय योजना के प्रमुख उद्देश्य थे।
- ग्रामीण बेरोजगार के उन्मूलन से सम्बन्धित कार्यक्रम IRDP, NREP, TRYSEM, RLEGP, DWACAR इसी योजना में लागू किये गये।
सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90)
- इसका लक्ष्य अनाजों के उत्पादन में वृद्धि, तथा रोजगार के अवसरों और उत्पादकता में वृद्धि ।
- बेरोजगारी और गरीबी दूर करने के लिए पहले से चल रहे कार्यक्रमों के अलावा जवाहर रोजगार योजना जैसे विशेष कार्यक्रम शुरू किये गये।
आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97)
- आठवीं योजना उदारीकृत अर्थव्यवस्था के रूप में परिणित जाॅन डब्लयू मिलर माॅडल पर आधारित थी।
- इस योजना का लक्ष्य मानव संसाधन विकाश था।
- 8 वीं पंचवर्षीय योजना में ही राष्ट्रीय महिला कोष की स्थापना की गई।
नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002)
- नौवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य मानव विकास के साथ साथ न्यायपूर्ण वितरण और समानता के साथ विकास करना था।
- इसमें सात बुनियादी न्यूनतम सेवाओं पर बल दिया गया ।
- इन सेवाओं में शुद्ध पेयजल, प्राथमिक स्वास्थय, प्राथमिक शिक्षा, घर, बच्चों के लिए पोषक आहार, गांवों और बस्तियों तक सड़क, गरीबों के लिए सार्वजनिक वितरण व्यवस्था बेहतर करना शामिल था।
- योजना अवधि में GDP उत्पाद में वार्षिक 6.5% की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया। जबकि उपल्बधि 5.4 % रही। इस प्रकार यह योजना असफल रही।
दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007)
- यह अधिक व्यापक आगत निर्गत माॅडल पर आधारित।
- योजनान्तर्गत 5 करोड़ रोजगार अवसरों का सर्जन।
- 10वीं योजना में सर्वाधिक बल कृषि विकास पर था। जब ऊर्जा पर सर्वाधिक व्यय रहा।
- योजना अवधि में GDP उत्पाद में वार्षिक 8% की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया। जबकि उपल्बधि 7.5 % रही।
11 वीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012)
- यह योजना तीव्रतर और अधिक समावेशी विकास की एक व्यापक रणनीति प्रस्तुत करती है।
- 11 वीं पंचवर्षीय योजना में शिक्षा के लिए विषय-वस्तु थीम ‘अनिवार्य प्रारम्भिक शिक्षा’ था।
12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017)
- 12 वीं पंचवर्षीय योजना का उपशीर्षक है – तीव्र धारणीय और अधिक समावेशी विकास है।
- ग्रामीण भारत में 12 वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक 50 प्रतिशत ग्राम पंचायत को निर्मल ग्राम का स्तर प्राप्त करना।
- 12 वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक 90% भारतीय परिवारों में बैंकिंग सुविधाओं को पहुचाने का लक्ष्य रखा गया था।
- पर्यावरण के क्षेत्र में ग्रीन कवर को 1 मिलियन हेक्टेयर प्रतिवर्ष बढ़ाना लक्ष्य रखा गया है।
- उत्सर्जन क्षमता को भी 2020 तक 25% तक कम करना लक्ष्य है।
1 जनवरी 2015 को नीति आयोग की स्थापना हुई। पहले इसे योजना आयोग के नाम से जानते थे।