UPTET Notes 2021: थार्नडाइक के सीखने के सिद्धांत

थार्नडाइक के सीखने के सिद्धांत

थार्नडाइक ने सन 1913 में सीखने के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया।  थार्नडाइक अमेरिका के रहने वाले थे। तथा इन्होंने अपना प्रयोग एक भूखी बिल्ली पर अपना प्रयोग किया तथा उद्दीपक एक मछली के टुकड़ा को रखा। इनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘शिक्षा मनोविज्ञान’ (Education Psychology) है।

थार्नडाइक के सीखने के सिद्धांत

सन      –  1913 में

स्थान    – अमेरिका

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पुस्तक  – शिक्षा मनोविज्ञान

प्रयोग   – बिल्ली पर

उद्दीपक – मछली का टुकडा

थार्नडाइक के सिद्धांत के उपनाम

➤ प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत
➤ आवृत्ति का सिद्धांत
➤ प्रयत्न एवं भूल का सिद्धांत
➤ उद्दीपक अनुक्रिया का सिद्धांत
➤ S-R का सिद्धांत
➤ संबंध वाद का सिद्धांत
➤ अधिगम का बंध सिद्धांत
➤ चयन का सिद्धांत
➤ सुख दुख का सिद्धांत

एक विशेष स्थिति उद्दीपक (Stimulus) होता है। जो उसे एक विशेष प्रकार की प्रतिक्रिया (Response) करने के लिए प्रेरित करती है

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इस प्रकार एक विशिष्ट उद्दीपक का एक विशिष्ट प्रतिक्रिया से संबंध स्थापित हो जाता है। जिसे उद्दीपक प्रक्रिया (S-R Bond) द्वारा व्यक्त किया जाता है। बिल्ली के समान ही बालक का चलना चम्मच से खाना खाना जूते पहनना बस लोगों से भी ड्राइविंग टाई की गांठ कोई खेल इसी सिद्धांत के अनुसार सीखते हैं। उद्दीपन के अनुसार किया जाने वाला कार्य अनुक्रिया है। जैसे भोजन को खाना पानी पीना आदि। वह वस्तु या स्थिति जो किसी भी व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रेरित करती है उसे उद्दीपन कहते हैं।

सीखने की परिभाषा थार्नडाइक के अनुसार- 

अधिगम स्नायु मंडल में स्थितियों और अनु क्रियाओं के मध्य सहयोग संबंधों का निर्माण होना तथा उनका शक्तिशाली होना है।

थार्नडाइक का प्रयोग

थार्नडाइक ने अपने प्रयोग पशुओं पर किया इसमें से बिल्ली चूहा तथा मुर्गियों के ऊपर अधिकतर अपने प्रयोग किया है। प्रयोगों के उपरांत उद्दीपन अनुक्रिया थ्योरी का प्रतिपादन किया तथा इनके प्रयोग से निष्कर्ष यह निकला कि उदीपक व वंछित अनुक्रिया के बीच एक बंद बन गया है।
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